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Writer's pictureSamphia Foundation

कौन कहता है कि दिव्याँग जन आम बच्चों की भाँति किसी मेले में सजे झूलों में नहीं झूल सकते??



अगर दिव्यांगों को समावेशी वातावरण प्रदान किया जाए तो ये अवश्य संभव है, बस समावेशी सोच को असलियत में अमल करने की ज़रूरत है ।













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